कभी सोचा नही था ऐसे भी दिन आएंगे
छुट्टियां तो होंगी पर मना नही पाएंगे ।
आइसक्रीम का मौसम है पर खा नही पाएंगे ।
रास्ते खुले होंगे पर कही जा नही पाएंगे |
जो दूर रहे गये उन्हें बुला नही पाएंगे
कभी सोचा नही था ऐसे भी दिन आएंगे
जो पास है उनसे हाथ मिला नही पाएंगे |
जो घर लौटने की राह देखते थे वो घर मे ही बंद हो जाएंगे |
जिनके साथ वक़्त बिताना बहुत अच्छा लगता था उनके लिए तरश जाएंगे।
क्या है तारीख,क्या है वार सब कैलेंडर में ही रह जाएंगे |
कभी सोचा नही था ऐसे भी दिन आएंगे |
हम भूल जाएंगे बस युही दिन रात बीत जाएंगे।
साफ हो जाएगी हवा पर चैन की सांस ना ले पाएंगे।
जिन्हें अपना मानते थे वो पराये हो जायेगे |
खुदको समझते थे बादशाह वो मदद को हाथ फेलायेंगे |
कभी सोचा ना था कोई दिन ऐसे भी आएंगे।
जिनको साथी समझते थे वो आंखे चुराएँगे ।
बिछड़े दोस्तो को ना जाने कब मिल पाएंगे।
ना जाने कब सब एक होंगे और हँसी खिलेगी |
इंसान पहले से ही एक दूसरे से दूर था अब ओर ज्यादा दूर हो जायेगे।
कभी सोचा था ज़िन्दगी में ऐसे भी दिन आएंगे।